Animals short story in hindi
मेरे प्यारे बच्चों आज हम आपके लिए लाएं हैं , तीन जानवर की कंहनिया जो आपको बहुत सीख देगी। आप को हर कहानी से कुछ ना कुछ सीखने को मिलता हैं ।
आज के मोबाइल युग में बच्चो को कहानी का शौक होता नहीं हैं लेकिन फिर भी जितना हो सकते उतना कहानी को पढ़ने की आदत डालनी चाहिए ।
कहानियाँ हमेशा सीख व ज्ञान प्राप्त करने का सबसे अच्छा तरीका मानी जाती हैं| कहानियाँ बहुत पुराने समय से लिखी जा रही हैं| बच्चो के लिए तो खासकर कहानी पढ़ना काफी आवश्यक है क्योंकि इन्ही की वजह से बच्चो को सीख सीखने को मिलती है| इसलिए छोटी कक्षा 2,3,4,5,6,7,8,9 के लिए हम लाये हैं।
1- *शेर का आसन*
शेर जंगल का राजा होता है। वह अपने जंगल में सब को डरा कर रहता है। शेर भयंकर और बलशाली होता है। एक दिन शहर का राजा जंगल में घूमने गया। शेर ने देखा राजा हाथी पर आसन लगा कर बैठा है। शेर के मन में भी हाथी पर आसन लगाकर बैठने का उपाय सुझा। शेर ने जंगल के सभी जानवरों को बताया और आदेश दिया कि हाथी पर एक आसन लगाया जाए। बस क्या था झट से आसन लग गया। शेर उछलकर हाथी पर लगे आसन मैं जा बैठा। हाथी जैसे ही आगे की ओर चलता है , आसन हिल जाता है और शेर नीचे धड़ाम से गिर जाता है। शेर की टांग टूट गई शेर खड़ा होकर कहने लगा – ‘ पैदल चलना ही ठीक रहता है। ‘
नैतिक शिक्षा –
जिसका काम उसी को साजे , शेर ने आदमी की नक़ल करनी चाही और परिणाम गलत साबित हुआ।
2 - *मुर्गा की अकल ठिकाने*
एक समय की बात है , एक गांव में ढेर , उसने सोचा अगले दिन सुबह मैं आवाज नहीं करूंगा। सब सोते रहेंगे तब मेरी अहमियत सबको समझ में आएगी , और मुझे तंग नहीं करेंगे। मुर्गा अगली सुबह कुछ नहीं बोला। सभी लोग समय पर उठ कर अपने-अपने काम में लग गए इस पर मुर्गे को समझ में आ गया कि किसी के बिना कोई काम नहीं रुकता। सबका काम चलता रहता है।
नैतिक शिक्षा – घमंड नहीं करना चाहिए। आपकी अहमियत लोगो को बिना बताये पता चलता है।
3 - *जंगल की दौड़*
बहुत समय पहले की बात है, एक बार जंगल मे एक कछुए और एक खरगोश की लड़ाई होने लगी। कछुआ धीरे धीरे चलता था, लेकिन वह शालीन था।
खरगोश बहुत घमण्डी था और हमेशा ही दुसरे जानवरों की मजाक बनाकर उन्हें परेशान किया करता था। तो कछुए की धीमी चाल को लेकर वह कछुए की मजाक बना रहा था।
जब कछुए ने उससे कुछ कह दिया तो खरगोश को बुरा लग गया।
अब खरगोश की आन का सवाल था। अब उसने अपनी जीत निश्चित मान कर कछुए के सामने दौड़ की शर्त रख दी। शीघ्र ही वहां और जानवर भी इकट्ठा हो गए। कछुआ दौड़ के लिए मान गया।
दौड़ शुरू हुई। कछुआ अपनी धीमी चाल से आगे बढ़ रहा था। और खरगोश बहुत तेज दौड़ रहा था। अन्य जानवरों को भी बहुत मजा आ रहा था वे सभी दौड़ का आनंद ले रहे थे।
खरगोश बहुत ही आगे निकल गया। उसने पीछे मुड़ कर देखा दूर-दूर तक कछुआ क्या, उसकी परछाई भी नजर नहीं आ रही थी। उसने सोचा, कि क्यो न थोड़ा आराम कर लिया जाए।
वह जाकर एक पेड़ के नीचे बैठ गया।
आराम करते करते उसे कब नींद आ गयी, पता ही नहीं चला। इतने में खरगोश वहां पहुंच गया। उसने देखा कि खरगोश तो सो रहा है। एक बार उसने सोचा कि इसे उठा दूँ,
लेकिन अगले ही पल उसने सोचा, यह एक प्रतिस्पर्धा है, मुझे बस अपना कार्य करना चाहिए। अब उसने अपनी जीत को अपने सामने देखा और आगे बढ़ता गया।
कुछ ही क्षणों में वह उस ही जगह पर पहुंच गया जहां से दौड़ शुरू हुई थी।
खरगोश की अचानक नींद खुली और उसने देखा कि शाम हो चली है, तभी उसे कछुए का खयाल आया। वह दौड़ दौड़ कर आगे गया और उस जगह पहुंच गया।
वहां सभी जानवर और उनके ही साथ कछुआ भी मौजूद था। कछुआ पहले से ही जीत चुका था। खरगोश का घमण्ड अब चूर चूर हो गया।
उसने कछुए से और उन सभी जानवरों से भी माफी मांगी जिनकी वह मजाक बनाया करता था।
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