यह हवेली राजा महाराजा के समय में बनाई हुई थी। लेकिन पिछले अठारह सालों से इस हवेली में आज तक कोई भी रहने के लिए नहीं गया था । इच्छा होने पर भी इस हवेली में कोई भी नहीं रह पा रहा था, क्यूंकि लोगो का कहना थी की इस हवेली में भूत-प्रेत का साया है। जब अजीतसिंह को इस हवेली के बारे मे पता चला तो उसने तय किया की वो इस रहस्य को जान कर ही रहे गा, क्यों लोग इस हवेली में नहीं रह पा रहे है। उस ने मजबूत इच्छा शक्ति से हवेली मे रहने की पूरी तैयारी कर ली। जब उसने हवेली के अंदर जाने के लिए पैर आगे बढ़ाये तो दरवाजे पे किसी अनजान व्यक्ति ने उसे रोक लिया। और नजदीक जाके बोलै, “कौन हो आप, और किधर जा रहे हो?” अजित सिंह ने जवाब देने के बजाय उसने सामने सवाल किया। “जी, आप कौन?” मेरा नाम अर्जुन सिंह है, और मैं यही पास मे ही रहता हूँ। अजित सिंह ने कहा, “ओह अच्छा, मैंने सुना है की यह एक भूतिया हवेली है। और यंहा कोई नहीं आ पाता है।” इसलिए मैं इस हवेली में एक दिन रुकने का फैसला किया है। अर्जुन सिंह ने कहा, “जी हाँ।।।। आप ने सही सुना है।” और आप भी अंदर मत जाइये, मेरी माने तो आप भी वापस लौट जाइये। यंहा बहु...
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