संदेश

सफेद कौंवे की जबरदस्त कहानी

चित्र
  * सफेद कौंवे की जबरदस्त कहानी *   एक बार की बात है । एक ऋषि ने एक कौवे को अमृत की तलाश में भेजा लेकिन कौवे को ये चेतावनी भी दी कि केवल अमृत के बारे में पता करना है उसे पीना नहीं है अन्यथा तुम इसका कुफल भोगोगे । कौवे ने हामी भर दी और उसके बाद सफेद कौवे ने ऋषि से विदा ली । एक साल के कठोर परिश्रम के बाद कौवे को आखिर अमृत के बारे में पता चल गया । वह इसे पीने की लालसा रोक नहीं पाया और इसे पी लिया जबकि ऋषि ने उसे कठोरता से उसे नहीं पीने के लिए पाबंद किया था । सो उसने ऐसा कर ऋषि को दिया अपना वचन तोड़ दिया ।  पीने के बाद उसे पछतावा हुआ और उसने वापिस आकर ऋषि को पूरी बात बताई तो ऋषि ये सुनते ही आवेश में आ गये और कौवे को शाप दे दिया और कहा क्योंकि तुमने अपनी अपवित्र चोंच से अमृत की पवित्रता को नष्ट किया है इसलिए आज के बाद पूरी मानवजाति तुमसे घृणा करेगी और सारे पंछियों में केवल तुम होंगे जो सबसे नफरत भरी नजरो से देखे जायेंगे । किसी अशुभ पक्षी की तरह पूरी मानवजाति हमेशा तुम्हारी निंदा करेगी । और चूँकि अमृत का पान किया है इसलिए तुम्हारी स्वाभाविक मृत्यु नहीं होगी । कोई बीमार

General knowledge for government jobs

21 मई की महत्त्वपूर्ण घटनाएँ👉 996 – सोलह वर्षीय ओटो तृतीय रोम का सम्राट बना। 1216 – फ्रांस के प्रिंस लुइस ने इंग्लैंड में प्रवेश किया। 1502 – पुर्तगाल के जोआओ दा नोवा ने दक्षिण अटलांटिक महासागर में सेंट हेलेना द्वीप की खोज की। 1674 – जनरल जॉन सोबिस्की पोलैंड के राजा चुने गये। 1725 - द ऑर्डर ऑफ अलेक्जेंडर नेव्स्की की स्थापना एम्पार्स कैथरीन आई द्वारा रूस में की गई। 1758 - मैरी कैम्पबेल को फ्रांसीसी और भारतीय युद्ध के दौरान पेनसिल्वेनिया में अपने घर से लेनाप द्वारा अपहरण किया गया। 1790 – प्रशासनिक सहूलियत के लिए पेरिस को 48 क्षेत्रों में विभाजित किया गया। 1819 – अमेरिका के न्यूयाॅर्क शहर की सड़कों पर पहली बार साइकिल देखी गई इसे स्फिवट वॉकर कहा जाता था। 1832 – अमेरिका की डेमोक्रेटिक पार्टी ने पहली बार नेशनल कन्वेंशन का आयोजन किया। 1840 – न्यूजीलैंड काे ब्रिटेन का उपनिवेश घोषित किया गया। 1851 – दक्षिण अमेरिका के कोलंबिया में गुलामी प्रथा समाप्त हुई। 1871 – यूरोप में माउंट रिगी पर पहली रैक रेल सेवा शुरू हुई। 1881 – अमेरिकी रेड क्रॉस संस्था की स्थापना की गई। 1881 – यूएस नेशन लॉन टेनिस एसोसि

Price of man ( short English story for kids )

चित्र
            *Price of man* A boy working with his father in the iron shop suddenly asked his father - "Father, what is the value of man in this world?" Dad was shocked to hear such a serious question from a small child. Then they said, "Son, it is very difficult to assess the value of a man, that is precious." Children - are all equally precious and important? Dad - yes sons The child did not understand anything, he asked again - then why is there a poor person in this world who is rich? Why is there any less respects of anybody? Upon hearing the question, Dad kept quiet for some time and then asked the child to bring an iron rod lying in the store room. Father brought the rod after asking - what will it cost? Child - Rs 200 Dad - If I make it a lot of small nails, then what will it cost? The child talked for a while, and then it would be expensive to sell around Rs. 1000. Papa - If I make lots of clocks of this clock with this iron? The chil

अलिफ़ लैला - भाग चार ( दो काले कुत्ते )

चित्र
            अलिफ़ लैला - भाग चार  *किस्सा दूसरे बूढ़े का जिसके पास दो                   काले कुत्ते थे* दूसरे बूढ़े ने कहा, 'हे दैत्यराज, ये दोनों काले कुत्ते मेरे सगे भाई हैं। हमारे पिता ने मरते समय हम तीनों भाइयों को तीन हजार अशर्फियाँ दी थीं। हम लोग उन मुद्राओं से व्यापार चलाने लगे। मेरे बड़े भाई को विदेशों में जाकर व्यापार करने की इच्छा हुई सो उसने अपना सारा माल बेच डाला और जो वस्तुएँ विदेशों में महँगी बिकती थीं उन्हें यहाँ से खरीद कर व्यापार को चल दिया। इसके लगभग एक वर्ष बाद मेरी दुकान पर एक भिखमंगा आकर बोला, भगवान तुम्हारा भला करे। मैंने उस पर ध्यान दिए बगैर जवाब दिया, भगवान तुम्हारा भी भला करे। उसने कहा कि क्या तुमने मुझे पहचाना नहीं। मैंने उसे ध्यानपूर्वक देखा और फिर उसे गले लगाकर फूट-फूट कर रोया। मैंने कहा, भैया, मैं तुम्हें ऐसी दशा में कैसे पहचानता। फिर मैं ने उसके परदेश के व्यापार का हाल पूछा तो उसने कहा कि मुझे इस हाल में भी देख कर क्या पूछ रहे हो। 'फिर मेरे जोर देने पर उसने वे सारी विपदाएँ बताईं जो उस पर पड़ी थीं और बोला कि मैंने संक्षेप ही

जादुई कहनी

चित्र
                    जादुई  कहानी हैलो बच्चों , आज हम अपने इस आर्टिकल्स में ले कर आए हैं आपके लिए जादुई कहानी । कहानियां सुनना , पढ़ना किससे पसंद नहीं होता है  , हैं ना आपको भी पसंद ? कहानी के ज़रिए हमारा मनोरंजन भी होता है और हमारा बोरिंग टाइम भी काट जाता हैं । कहानी आज के समय में नहीं बल्कि हज़ारों सालों से लोगो की मनोरजंन का एक साधन हैं । कहानी के जरिए हम बच्चों को नैतिक गुण सीखते हैं , जो  चीज हम बच्चो को डांट कर नहीं सीखा सकते कभी कभी वो बात बच्चे कहानी के जरिए सीख लेते हैं  । बच्चों को कहानी के माध्यम से कुछ सिखाना सबसे बेस्ट तारिक हैं क्यों कि हम हमेशा बच्चों को मर कर, डांट कर नहीं सीखा सकत हैं मारने से बच्चों पर गलत असर होता है इससे बच्चों को एक समय के बाद मर खाने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा इसलिए आप को कहानी के माध्यम से बच्चों को सिखाना चाहिए कि क्या ग़लत हैं और क्या सही ?  तो आज हम आपके लिए ले कर आए हैं एक जादुई कहानी जिस कहनी का नाम है नागिन का करिश्मा ।  इस कहनी से आपको बहुत  कुछ  सीखने को मिलेगी । चलिए हम आज की कहनी स्टार्ट करते हैं :-            **  नागिन का करिश्मा  **  

अलिफ़ लैला भाग दो ( किस्सा व्यापारी और दैत्य का)

चित्र
        अलिफ़ लैला की कहानियां                         (भाग-दो ) हैलो दोस्तों यहां अलिफ़ लैला की कहानी का भाग दूसरा हैं अगर आप आगे ओर कहानी को पढ़ना चाहते हैं तो हमारे ब्लॉग से बने रहें ।  हम भाग एक अपने पहले आर्टिकल पर दिखा चुके हैं ।        *किस्सा व्यापारी और दैत्य का* किस्सा गधे, बैल और उनके मालिक का एक बड़ा व्यापारी था जिसके गाँव में बहुत-से घर और कारखाने थे जिनमें तरह-तरह के पशु रहते थे। एक दिन वह अपने परिवार सहित कारखानों को देखने के लिए गाँव गया। उसने अपनी पशुशाला भी देखी जहाँ एक गधा और एक बैल बँधे हुए थे। उसने देखा कि वे दोनों आपस में वार्तालाप कर रहे हैं। वह व्यापारी पशु-पक्षियों की बोली समझता था। वह चुपचाप खड़ा होकर दोनों की बातें सुनने लगा। बैल ने गधे से कहा, 'तू बड़ा ही भाग्यशाली है, सदैव सुखपूर्वक रहता है। मालिक हमेशा तेरा खयाल रखता है। तेरी रोज मलाई-दलाई होती है, खाने को दोनों समय जौ और पीने के लिए साफ पानी मिलता है। इतने आदर-सत्कार के बाद भी तुझसे केवल यह काम लिया जाता है कि कभी काम पड़ने पर मालिक तेरी पीठ पर बैठ कर कुछ दूर चला जाता है। तुझे दाने-घास की

अलिफ़ लैला भाग - एक (शहरयार और शाहजमां की कहानी )

चित्र
            आलिफ लैला की कहानियां हैलो दोस्तो !         आज हम आपके लिए अलिफ लैला की कहानियां ले कर आए हैं , हमारे इस आर्टिकल में आपको  ' आलिफ़ लैला की कहानी का -  भाग एक ' पढ़ने को मिलेगा   आलीफ लैला की बहुत सारी कहानियां हैं आप हमारे ब्लॉग को लाइक और सब्सक्राइब कर दीजिए ताकि आपको आलीफ़ लैला की सारी कहानियां हमारे ब्लॉग पर मिल सके ।            * शहरयार और शाहजमाँ  *         फारस देश भी हिंदुस्तान और चीन के समान था और कई नरेश उसके अधीन थे। वहाँ का राजा महाप्रतापी और बड़ा तेजस्वी था और न्यायप्रिय होने के कारण प्रजा को प्रिय था। उस बादशाह के दो बेटे थे जिनमें बड़े लड़के का नाम शहरयार और छोटे लड़के का नाम शाहजमाँ था। दोनों राजकुमार गुणवान, वीर धीर और शीलवान थे। जब बादशाह का देहांत हुआ तो शहजादा शहरयार गद्दी पर बैठा और उसने अपने छोटे भाई को जो उसे बहुत मानता था तातार देश का राज्य, सेना और खजाना दिया। शाहजमाँ अपने बड़े भाई की आज्ञा में तत्पर हुआ और देश के प्रबंध के लिए समरकंद को जो संसार के सभी शहरों से उत्तम और बड़ा था अपनी राजधानी बनाकर आराम से र

भूतिया हवेली

चित्र
यह हवेली राजा महाराजा के समय में बनाई हुई थी। लेकिन पिछले अठारह सालों से इस हवेली में आज तक कोई भी रहने के लिए नहीं गया था । इच्छा होने पर भी इस हवेली में कोई भी नहीं रह पा रहा था, क्यूंकि लोगो का कहना थी की इस हवेली में भूत-प्रेत का साया है। जब अजीतसिंह को इस हवेली के बारे मे पता चला तो उसने तय किया की वो इस रहस्य को जान कर ही रहे गा, क्यों लोग इस हवेली में नहीं रह पा रहे है। उस ने मजबूत इच्छा शक्ति से हवेली मे रहने की पूरी तैयारी कर ली। जब उसने हवेली के अंदर जाने के लिए पैर आगे बढ़ाये तो दरवाजे पे किसी अनजान व्यक्ति ने उसे रोक लिया। और नजदीक जाके बोलै, “कौन हो आप, और किधर जा रहे हो?” अजित सिंह ने जवाब देने के बजाय उसने सामने सवाल किया। “जी, आप कौन?” मेरा नाम अर्जुन सिंह है, और मैं यही पास मे ही रहता हूँ। अजित सिंह ने कहा, “ओह अच्छा, मैंने सुना है की यह एक भूतिया हवेली है। और यंहा कोई नहीं आ पाता है।” इसलिए मैं इस हवेली में एक दिन रुकने का फैसला किया है। अर्जुन सिंह ने कहा, “जी हाँ।।।। आप ने सही सुना है।” और आप भी अंदर मत जाइये, मेरी माने तो आप भी वापस लौट जाइये। यंहा बहु

भारती राष्ट्रीय कांग्रेस

चित्र
                 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस                            महत्वपूर्ण प्रश्न:  🔹 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना वर्ष ➨ 1885 में हुई थी 🔹 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना ➨ एलन ऑक्टेवियन ह्यूम ने की थी 🔹 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का पहला सत्र आयोजित किया गया ➨ मुंबई (1885) 🔹 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना के समय ब्रिटिश भारत का वायसराय कौन था ➨ लॉर्ड डफरिन 🔹 अपने अस्तित्व के शुरुआती चरण के दौरान, यानी 1885-1905 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने कभी यह मांग नहीं की ➨ ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता 🔹 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष ➨ श्रीमती एनी बेसेंट (1917) 🔹 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पहली भारतीय महिला अध्यक्ष ➨ श्रीमती सरोजिनी नायडू (1925) 🔹 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की महिला अध्यक्ष ➨ श्रीमती एनी बेसेंट (1917), श्रीमती सरोजिनी नायडू (1925) और श्रीमती नेली सेनगुप्ता (1933) 🔹 सूरत अधिवेशन में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का पहला विभाजन ➨ 1907 🔹 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष बनने वाले प